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अति सर्वत्र वर्जते...
शारदा आर . बूबना

"अति सर्वत्र वर्जते। : शारदा आर . बूबना व्याधि-स्थ्यना-संशय-प्रमद-अलस्य-अविरति-भ्रान्तिदर्शन-अलब्धभूमिकत्व-अनवस्थितावानि-चित्तविक्षेपः-ते-अंतरायः 11 पतंजलि योग सूत्र के प्रथम समाधि पाद के तीसरे सूत्र में महर्षि पतंजलि ने इन 9 अंतराया याने विघ्न,बाधाओं की जानकारी दी है। वर्तमान काल में इन विघ्नों से संपूर्ण विश्व पीड़ित है। शारीरिक रोगों के निवारण के लिए तो एलोपैथी, होम्योपैथी व आयुर्वेदिक दवाएं उपलब्ध है। परंतु त्रस्त व्यस्त और ग्रस्त मनोरोगियों को संभालना मुश्किल होता जा रहा है और इस रोग का हिंदी नाम है "तनाव"। परंतु अंग्रेजी में इसे "टेंशन" नाम से जाना जाता है। आज हर कोई छोटे-छोटे बच्चे, जवान प्रौढ़, वृद्ध टेंशन की गिरफ्त में है। और इस टेंशन रूपी जींद जिन्न की गिरफ्त इतनी मजबूत है कि,मानव मजबूर परेशान और दुखी है। सच तो यह है कि इंसान का जीना ही नहीं मरना भी दूभर हो गया है। 21वीं सदी का मानव चांद व मंगल पर पहुंच गया है आने वाले समय में हो सकता है सूरज पर जाना भी संभव कर ले। परंतु जीवन मृत्यु पर उसका हक कदापि संभव नहीं हो सकता। इसलिए हमें मानसिक रोगों से बचने के लिए चित्त को विकसित करने वाले विघ्नों याने न्यू टेक्नोलॉजी के प्रयोग, उपयोग पर ब्रेक लगाना होगा। क्योंकि न्यू टेक्नोलॉजी हमारे शारीरिक मानसिक जिसने हमारे तन व मन को निठल्ला निष्क्रिय बना रही है। हर किसी के हाथ में मोबाइल है, लैपटॉप टीवी के सामने होता है यह इस सदी की विडंबना है कि साथ-साथ होते हुए भी, साथ में नहीं है रिश्तो में दूरियां कड़वाहट बढ़ती जा रही है। हम अनजानों की तरह जीवन जी रहे होते हैं आज अपने भी पराए से हो गए हैं। "कोरोना" ही नहीं टेंशन भी विश्वव्यापी व्याधि है। कोरोना से तो मुक्ति मिल गई, वैक्सीन ले ली है। समस्या का समाधान हो गया है परंतु टेंशन से पीड़ित अनमना उन्मादी,आलसी, संशय और अकेला हो गया है। पढ़ने व पढ़ाने वाले स्वयं को ज्ञानी मानते हैं परंतु यह मिथ्या है, झूठ है, भ्रांति है। बंद एसी कमरे में काम में व्यस्त और पड़े रहते हैं और जब बाहर जाते हैं तो सिर्फ मोबाइल कैमरे की आंखों से ही देखते हैं आज का इंसान खुशियों को भी दिल में नहीं कैमरे में कैद करने को लगा है लगा हुआ है। आज हमारे पास सब कुछ होते हुए भी कुछ भी नहीं है बस बाकी है तो चंद भूली बिसरी यादें फोटो है वह दिल को क छोटी बातें अशांत मन दुखता बदन,अकेलापन, निराशा। इस समस्या का समाधान उपाय भी महर्षि पतंजलि ने प्रथम पाद के 33 वें श्लोक में बताया है। मैत्री - करुणा - मुदिता - उपेक्षणम - सुख - दुख - पुण्य - अपुण्य - विसायनम - भावनात - चित्त - प्रसादनम टेंशन से मुक्ति के लिए टीवी लैपटॉप, मोबाइल के उपयोग उपभोग में अनियमितता व लिमिट निश्चित कर थोड़ा समय निश्चित करें, अत्याधिक प्रयोग ना करें सुखी जनों से मित्रता, दुखियों पर दया, पुण्य आत्माओं में हर्ष, गलत और चोट पहुंचाने वालों की उपेक्षा अर्थात उन्हें इग्नोर करें। खुशियों को बाहों में भर कर गले लगाए तब ही टेंशन तनाव से मुक्ति मिलेगी इसके साथ ही नियमित रूप से आसन, प्राणायाम, व्यायाम व करो टॉक करो,वॉक स्वयं से जुड़े तब ही ना हम औरों से जुड़ पाएंगे, अपनों से जुड़ पाएंगे। समझ बढ़ेगी की टेंशन के मूल में टेक्नोलॉजी का अति प्रयोग ही है इसीलिए कहा है "अति सर्वत्र वर्जते।