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मैं भी कुलदीपक

जया भट्ट

4 मार्च 2023

पापा जी का गौरव हूँ मैं,

मम्मी जी की जान हू.


पापा जी का गौरव हूँ मैं,

मम्मी जी की जान हू.

दादा दादी के सपनों की

ऊंची एक उड़ान हूँ

पापा ने सपना है देखा,

शहजादा वो लाएंगे.

अपनी प्यारी सी लाडो को

दुल्हन परी बनाएंगे

मम्मी जी की आँखों में भी ,

एक यही वो आस है.

गृहकार्य में दक्ष बनू मैं,

उनकी ये अरदास है.

दादा दादी का क्या कहना,

उनका तो ये ख्वाब है.

पोते पड़पोते वो देखें,

जब तक आँखों में ताब है.

पर क्या कोई मुझसे पूछा

मेरी भी कुछ राय है.

मत बांधो खूंटी से मुझको,

आपकी बेटी नहीं कोई गाय है.

बेटी हूँ मैं जीने भी दो,

मुझको मेरी मर्जी से

सोचूंगी मैं अपनी खातिर

जो चाहूँगी मर्जी से.

बस विश्वास बनाओ मुझपर

मैं भी रंग जमाउंगी

शिक्षा की आँधी से मैं

जग मैं परिवर्तन लाऊँगी.

शिक्षित हूँगी, शिक्षा दूँगी

जग में नाम कमाऊंगी

अपने करमों के बल पर

मैं कुलदीपक बन जाउंगी

मैं कुलदीपक बन जाउंगी


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अल्बर्ट आइन्स्टीन 

साहित्य समाजहम भारतीयों के आभारी है,
जिन्होने हमें गिनना सिखाया
जिसके बिना किसी भी तरह की
वैज्ञानिक खोज सम्भव ही नहीं थी.

© 2023 by Prawasi Chetana 

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