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प्रिय मिलने का वचन भरो तो!

- भारत भूषण

5 मार्च 2023

सौ-सौ जनम प्रतीक्षा कर लूँ
प्रिय मिलने का वचन भरो तो !



सौ-सौ जनम प्रतीक्षा कर लूँ

प्रिय मिलने का वचन भरो तो !

पलकों-पलकों शूल बुहारूँ

अँसुअन सींचू सौरभ गलियाँ

भँवरों पर पहरा बिठला दूँ

कहीं न जूठी कर दें कलियाँ

फूट पडे पतझर से लाली

तुम अरुणारे चरन धरो तो !

रात न मेरी दूध नहाई

प्रात न मेरा फूलों वाला

तार-तार हो गया निमोही

काया का रंगीन दुशाला

जीवन सिंदूरी हो जाए

तुम चितवन की किरन करो तो!

सूरज को अधरों पर धर लूँ

काजल कर आँजूँ अँधियारी

युग-युग के पल छिन गिन-गिनकर

बाट निहारूँ प्राण तुम्हारी

साँसों की ज़ंजीरें तोड़ूँ

तुम प्राणों की अगन हरो तो!

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अल्बर्ट आइन्स्टीन 

साहित्य समाजहम भारतीयों के आभारी है,
जिन्होने हमें गिनना सिखाया
जिसके बिना किसी भी तरह की
वैज्ञानिक खोज सम्भव ही नहीं थी.

© 2023 by Prawasi Chetana 

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