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ग़ज़ल ----
कुछ नायाब ख़ज़ाने रख
ले मेरे अफ़साने रख
जिनका तू दीवाना हो
ऐसे कुछ दीवाने रख
आख़िर अपने घर में तो
अपने ठौर - ठिकाने रख
मुझसे मिलने - जुलने को
अपने पास बहाने रख
वर्ना गुम हो जाएगा
ख़ुद को ठीक-ठिकाने रख
ग़ज़ल ----
मुझको अपने पास बुला कर
तू भी अपने साथ रहा कर
अपनी ही तस्वीर बना कर
देख न पाया आँख उठा कर
बे - उन्वान रहेंगी वर्ना
तहरीरों पर नाम लिखा कर
सिर्फ़ ढलूँगा औज़ारों में
देखो तो मुझको पिघला कर
सूरज बन कर देख लिया ना
अब सूरज-सा रोज़ जला कर
विज्ञान व्रत
9810224571
एन - 138 , सैक्टर - 25 ,
नोएडा - 201301
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